
Male Fertility - पुरुषों की यौन छमता को बर्बाद करता है Corona Vires.. रीसर्च से निकला ये नतीजा !!
Male Fertility:- शोधकर्ताओं की टीम को पता चला कि कोरोना संक्रमण गुप्तांग को प्रभावित करता है। पुरुषों के टिश्यू के विश्लेषण से पता चला कि कोरोना होने के सात से नौ महीने बाद भी उनमें कोरोनावायरस मौजूद था।
Male Fertility: वैज्ञानिकों ने आगाह किया है कि कोरोना वायरस पुरुषों की यौन क्षमता (Corona Reduces Male Fertility) को बुरी तरह प्रभावित कर सकता है। पुरुषों के प्रजनन सिस्टम ( Reproductive System) पर कोरोना वायरस ( Coronavirus) या कोरोना वैक्सीनों का क्या असर होता है , इस बारे में अभी तक बहुत कम रिसर्च हुईं हैं लेकिन अब अमेरिका की मियामी यूनिवर्सिटी के चिकित्सकों और शोधकर्ताओं ने इस बारे में कई सवालों का जवाब ढूंढ निकाला है। मियामी यूनिवर्सिटी ( Miami University) में यूरोलॉजिस्ट रंजीत रामासामी तथा अन्य शोधकर्ताओं ने सभी उम्र के पुरुषों पर कोरोना वायरस के दीर्घकालिक प्रभाव डालने वाली बातों का पता लगाया है। मियामी यूनिवर्सिटी में रिप्रोडक्टिव यूरोलॉजी प्रोग्राम के निदेशक रंजीत रामासामी और उनके सहयोगियों ने कोरोना संक्रमण से मारे गए पुरुषों के अंडकोष के टिश्यू का विश्लेषण करने पर पाया कि कुछ पुरुषों में स्पर्म की संख्या बहुत घट गई थी जबकि कुछ के टिश्यू में कोरोना। मौजूद
संक्रमित पुरुषों के अंडकोष के टिश्यू का विश्लेषण
कोरोना से संक्रमित अन्य मरीज ठीक तो हो गया था लेकिन कुछ असामान्यता होने के कारण तीन महीने बाद उसके अंडकोश की बायोप्सी करनी पड़ी। बायोप्सी में पता चला कि उसके अंडकोश में कोरोना वायरस इतने समय बाद भी मौजूद था।
शोधकर्ताओं की टीम को ये भी पता चला कि कोरोना संक्रमण गुप्तांग को भी प्रभावित करता है। दो पुरुषों के टिश्यू के विश्लेषण से पता चला कोरोना होने के सात से नौ महीने बाद भी उनमें कोरोनावायरस मौजूद था। इन दोनों पुरुषों की यौन क्षमता बहुत बुरी तरह प्रभावित हुई थी और इनमें इम्प्लांट लगाना पड़ा था। इन दोनों व्यक्तियों में से एक को कोरोना का हल्का संक्रमण ही हुआ था जबकि दूसरे व्यक्ति को अस्पताल में भर्ती होना पड़ा था। इससे पता चलता है कि वायरस के हल्के संक्रमण का भी पुरुष यौन क्षमता पर तीव्र दुष्प्रभाव पड़ सकता है। और ये दुष्प्रभाव मरीज के रिकवर होने के लम्बे समय बाद तक बना रह सकता है।
अन्य वायरस भी डालते हैं असर -
ताजा जानकारी वैज्ञानिकों के लिए बहुत हैरान करने वाली नहीं है। सच्चाई तो ये है कि अन्य तरह के वायरस भी अंडकोश पर हमला बोलते हैं और स्पर्म प्रोडक्शन व फर्टिलिटी को प्रभावित करते हैं।
मिसाल के तौर पर 2006 में फैले सार्स वायरस प्रकोप में मारे गए 6 मरीजों के टिश्यू की जांच से पता चला था कि सभी के अंडकोष की कोशिकाएं व्यापक रूप से नष्ट हो गई थीं और स्पर्म एकदम नहीं था या बहुत कम था।
ये भी पता चल चुका है कि गलसुआ यानी मम्प्स और जीका वायरस अंडकोष में जा कर सूजन पैदा कर सकते हैं। इन वायरस से संक्रमित 20 फीसदी मरीजों में वायरस के चलते स्पर्म प्रोडक्शन प्रभावित हो जाता है।