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पॉर्न पर भारत में क्या है कानून, डाउनलोड से लेकर शेयर करने तक क्या हैं नियम?

देश के जाने माने उद्योगपति राज कुंद्रा पॉर्नोग्राफी के एक मामले में गिरफ्तार हुए हैं. पुलिस रिमांड पर उनसे पूछताछ की जा रही है और बताया जा रहा है कि ऑटीटी प्लेटफॉर्म पर ये फिल्में रिलीज होती थीं.


राज कुंद्रा की गिरफ्तारी के बाद से ही भारत में पॉर्नोग्राफी को लेकर क्या कानून है, इसपर बात शुरू हो चुकी है. भारत में पॉर्न फिल्म का इतिहास काफी पुराना है. पहले सिंगल स्क्रीन थिएटर में सॉफ्ट पोर्न चलती थी. इसके बाद सीडी का जमाना आया और इंटरनेट का जमाना आते ही लोग ऑनलाइन देखने लगे.


भारत में पॉर्न को लेकर समय-समय पर नियम बनाए जाते रहे हैं. साल 2018 में दूरसंचार विभाग ने देश में इंटरनेट सेवा उपलब्ध करवाने वाले तमाम सर्विस प्रोवाइडर्स को आदेश दिया कि वे 827 पॉर्न वेबसाइटों को ब्लॉक कर दें. हालांकि, टेक्नॉलजी इतनी बदल गई है कि अब भी VPN और दूसरे माध्यमों के जरिए लोग इन वेबसाइट्स को देख सकते हैं.




दूरसंचार विभाग ने ये निर्देश उत्तराखंड हाईकोर्ट के उस आदेश के बाद दिया था जिसमें उसने देश में पोर्न वेबसाइटों को बंद करने की बात कही थी. दरअसल, हाईकोर्ट में रेप के एक मामले में सुनवाई के दौरान आरोपी ने कहा था कि रेप करने से पहले उसने पॉर्न विडियो देखे थे.


इस बैन के बाद भी भारत में तमाम ऐसे माध्यम हैं जिससे लोग पॉर्न देख लेते हैं. इधर बीच ओटीटी प्लेटफॉर्म तेजी से आने लगे हैं और इन्हीं प्लेटफॉर्म में कई ऐसे भी ऐप्स आ गए हैं जो सॉफ्ट पोर्न से लेकर पॉर्न तक दिखा रहे हैं.


भारत में पॉर्न बनाना, इसे प्रकाशित करना, इसे किसी भी माध्यम के जरिए सर्कुलेट करना अवैध माना गया है. हालांकि, आप 18 साल से अधिक उम्र के हैं तो देखने-पढ़ने को अवैध नहीं माना गया है. लेकिन, चाइल्ड पॉर्नोग्राफी पर सख्त कानून भी है.


  • मोबाइल या लैपटॉप पर पॉर्न देखना अपराध नहीं है. इसे कहीं भी किसी भी माध्यम से सर्कुलेट कर रहे हैं तो ये अपराध है. 
  • दूसरी बात ये है कि आप किसी भी शख्स की मर्जी के बिना उसे अश्लील कंटेट दिखा, भेज रहे हैं तो ये भी अपराध है.
  • आप ऐसी वेबसाइट से पोर्न देख रहे हैं जो दूसरे देशों में रजिस्टर्ड है तो वह भारतीय कानून के बाहर है. लेकिन, इस तरह के कंटेंट को आप डाउनलोड-सेव कर रहे हैं तो ये अपराध है. 


पॉर्नोग्राफी लॉ के जरिए देश में इसपर नजर रखा जाता है. पॉर्न से जुड़े मामले में आईटी (संशोधन) की धारा 67 (ए) और आईपीसी की धारा 292, 293, 294, 500,506 और 509 के अंतर्गत दोषी को सजा का प्रावधान है.